सुंदर जगत निवास
जो लोग खेतों में आग लगते हैं उनसे पर्यावरण को बचाने हेतु संदेश
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**** सुंदर जगत निवास (दोहावली) ***
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आग लगे जब खेत को,जलते पंछी नीड़।
जीव-जंतु जंगली जले,बच न सकेंगे बीड़।।
मानव मन है लालची,करता रहे उजाड़।
अनल रूप औजार से,चाहे ज्यादा झाड़।।
मौन व्रत धार है खड़े,राजा और वजीर।।
देख कोई न रोकता,बनें फकीर लकीर।।
सांस कंठ में रोकती, प्रदूषित हो समीर।
पत्तों संग तना जले , दहके पेड़ शरीर।।
कृषक किसानी है करे,न नीति सोच विचार।
कुकृत्यों से भू नपे, प्रकृति हुई लाचार।।
तौर तरीके और भी, करो सदैव प्रयास।
हरी – भरी भू बनी रहे,सुंदर जगत निवास।
कोरोना दिखा दिया,क्या है रूप प्रकोप।
मानव मन है बावरा , हृदय मे नहीं ख़ौफ।।
कर जोड़ करूँ याचना,करो घोर मत पाप।
पावक परहेजी बनो ,मरते बिच्छू सांप।।
मनसीरत तन निज जले,लगे हुईं कुछ बात।
हरे पेड़ – पौधे जले,कुछ नहीं हुई बात।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)