सुंदरी सवैया
सुंदरी सवैया
सबका वह पालनहार सदा
जग का भरपेट भला करता है।
हम तो तुम तो धन ही हरते
वह तो सबके दुख को हरता है।
मरते सब हैं जनमे जग में
वह ना जनमा वह ना मरता है।
सतकर्म अधर्म किए जितने
उनका कर योग वही धरता है।।
गुरू सक्सेना, नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)