सुंकू वह चीज है हर पल जिसे हम पा नहीं सकते।
बहुत नुकसान है उतने में गर मुस्कां नहीं सकते।
सुंकू वह चीज है हर पल जिसे हम पा नहीं सकते।
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बहल जाते थे बहलाने से हम तुम दौर दूजा था।
हुए बच्चे सयाने हम उन्हें फुसला नहीं सकते।
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कभी ईमानदारी से जहन की जांच कर लेना।
हवस सबको सताती है इसे झुठला नहीं सकते।
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सितारों से भरी हो जिंदगी ये चाह सबको है।
फलक की तरह अपने दिल को पर फैला नहीं सकते।
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दरिंदों को छुपा के रखता है तहज़ीब का चेहरा।
वह कैसा जुल्म है इक दूजे पर जो ढा नहीं सकते।
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खुले गर एक फंदा चार उसमें जोड़ते हैं हम।
हम ऐसे मामला कोई कभी सुलझा नहीं सकते।
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बढ़ाएं उसको आगे पाई है ये खासियत जिसने।
अगर हम खुद जमाने को “नजर” महका नहीं सकते।