सीरत
तेरी सीरत से, नहीं मिलती, किसी की सीरत
हम अपने ज़ेहन में, तेरी तहरीर लिए जीते हैं
तेरी सच्चाई का सच, ज्यों ज्यों गहराता गया
खुद को रहे हारते मगर, ज़िन्दगी को जीते हैं
खुद का खुद होना, है अपने आप में खुदा होना
खुदी पर जो कायम रहे, इंसान नहीं फरिश्ते हैं
नेक दिल, नियती, मंशा से ही रोशन है ये दुनिया
जीने का, ये फलसफा, हम, तुझ ही से, सीखे हैं
आज दुनिया को हम इसीलिए एक नज़र आते हैं
क्यों कि न तुम हो मेरे जैसे, न हम तुझ सरीखे हैं
बड़ा ही सुहाना एहसास है ये हमारी ज़िन्दग़ी का
हर पल है ज़िन्दगी और हम हर इक पल को जीते हैं
कामयाबी होती है क्या, मंज़िल है क्या वही जानें
हम तेरी सोहबत में रोज़, इक नई ज़िंदगी जीते हैं
तारीख ये बताती है, एक अरसे से हूं, मै तेरे साथ
मुझे तो याद नहीं, गर कोई दिन, तेरे बगैर बीते हैं
जुड़ा होना और जुड़ जाना, हैं, दो अलहदा बातें
दिलों का जुड़ा होना, रूहानी सजदों के सलीके हैं
~ नितिन जोधपुरी “छीण”