सीमा प्रहरी
आधार छंद-लावणी
अटल-अडिग सीमा पर रहता, हम सब का रखवाला है ।
धीर-वीर गंभीर निडर वह,महाकाल की ज्वाला है।
रहा राष्ट्र का गौरव प्यारा, आजादी के रक्षक हैं।
आँख उठे जो मातृभूमि पर,उन रिपुओं के भक्षक हैं।
पूर्ण देश को अपना माने, सबकी खातिर जीता है।
जन्मभूमि की रक्षा खातिर,वो फुर्तीला चीता है।
शस्यश्यामला मातृभूमि का,प्रहरी बड़ा निराला है ।
अटल-अडिग सीमा पर रहता, हम सब का रखवाला है।
मार सभी मौसम की झेले,धूप कड़ी हो या सर्दी।
अस्त्र-शस्त्र से लैस रहे वह,पहने खाकी की वर्दी।
श्वेत-हरा केशरिया पगड़ी, माथे पर बाँधा करता।
बाहों में भर नील गगन को, धरती को नापा करता।
शूरवीर भारत माता का, देश-भक्त मतवाला है।
अटल-अडिग सीमा पर रहता, हम सब का रखवाला है।
हुंकार भरे संहार करे, रिपु का सीना खार करें।
हाहाकार मचे तब ऐसा,जब दुश्मन पर वार करें।
जय भारत माँ कहते-कहते, हृदय शक्ति संचार करें।
मातृभूमि के चरणों में ही,अपना शीश निसार करे।
रौद्र रूप धर तांडव करता, शिव शंकर का भाला है।
अटल-अडिग सीमा पर रहता, हम सब का रखवाला है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली