सीता छंद आधृत मुक्तक
विधान -ऽ।ऽऽ,ऽ।ऽऽ,ऽ।ऽऽ,ऽ।ऽ
पाणि वीणा शारदे दो ज्ञान सारा छंद का।
लेखनी में धार दो माँ भाव हो आनंद का।
मंत्र दो साकार हो माँ कामनाएँ जीत की,
सत्यगामी मैं बनूँ दूँ साथ माता मंद का।।1
भूल सारी मुश्किलों को मुस्कराना सीख लो।
जिन्दगी में कष्ट में भी गीत गाना सीख लो।
आ रही है जो खुशी तेरा सहारा है वही,
धैर्य धारो जिन्दगी को आजमाना सीख लो।।2
देश को रफ्तार दे जो काम ऐसा कीजिए।
हो भरोसा जो सभी का नाम ऐसा लीजिए।
वोट देना धर्म है ये शान की भी बात है,
वक्त आता है कभी तो वोट सारे दीजिए ।।3
दुःख देती है किसानी भूख भी जाती नहीं।
जिन्दगी की राह में जो वेदना भाती नहीं।
स्वाभिमानी घूमते हैं कष्ट सारे झेलते,
देवता की जेब खाली रास है आती नहीं।।4
पार्टियाँ ढूँढे भगोड़े हैं लगाती भी गले।
जिन्दगी दे पार्टियों को आज जाते हैं छले।
देश सेवा नाम का बाजा बजाते हैं सभी,
जीत ही वे चाहते हैं स्वप्न कुर्सी का पले।।5
डाॅ. बिपिन पाण्डेय