Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2022 · 2 min read

सीता एकटा वीर नारी!

सीता एकटा वीर नारी!
बाल्मीकि रामायण आ रामचरित मानस के आधार पर त सीता के एकटा वीर नारी नै मानल जा सकै हैय। सीता के वीरता के कोई वृतांत अइ दुनू महाकाव्य मे न हैय। सीता के बायां हाथ से धनुष के उठा के दहिना हाथ से भूमि के निपे के भी चर्चा न हैय। समाज में एगो मिथक के रूप मे अवश्य हैय वा कोनो दोसर ग्रंथ में होय। सीता के लड़े के कोई दृष्टांत न मिलैय हैय। जेना दूर्गा,काली आ सौतेली सास कैकेई के मिलैय हैय।वन गमन के समय राम सीता के जंगल में संभावित घटना से अवगत करैत कहैत छथि कि हिंसक जानवर आ राक्षस रहै हैय।इंहा तक कि सीता के स्वभावत: डरपोक कहलन।

ब्याल कराल बिहग बन घोरा।निसिचर निकर नारि नर चोरा।
डरपहिं धीर गहन सुधि आएं। मृगलोचनि तुम्ह भीरू सुभाएं।।
– रामचरित मानस

अर्थात वन में भीषण सर्प,भयानक पक्षी और स्त्री पुरुष को चुराने वाले राक्षसों के झुंड के झुंड रहते हैं।वन की (भंयकरता)याद आने मात्र से धीर पुरुष भी डर जाते हैं। फिर हे मृगलोचनि। तुम तो स्वभाव से डरपोक हो।

सीते यथा त्वां वक्ष्यामि तथा कार्य त्वयाबले।
वने दोषा हि बहवो वसतस्तान् निबोध मे।।४।।
-बाल्मिकी रामायण
अर्थात सीते! मैं तुमसे जैसा कहूं वैसा ही करना तुम्हारा कर्तव्य है। तुम अबला हो,वन में निवास करने वाले मनुष्य को बहुत से दोष प्राप्त होते हैं, उन्हें बता रहा हूं, मुझसे सुनो।
तुलसी के राम सीता के डरपोक आ बाल्मीकि के राम सीता के अबला कहैत छथि।

जेना राम आ लक्ष्मण कंधा पर धनुष टंगलै हैय वोना सीता अपना कंधा पर धनुष न टंगलै हैय। जौं वीर रहिता त धनुष अपना कंधा पर टंगिता।राम जब हरिण मारे ला निकलला त सीता के रखवारी के जिम्मा लक्ष्मण जी के सौपला। रावण भी जवर्दस्ती अपना कंधा पर उठा के पुष्पक विमान पर बैठा के लंका लेगन।खाली अपना वीर पति राम के प्रशंसा करैत रहला।कि हुनका वाण से तू न बचबा। सीता के त्याग आ धैर्य के वीरता कहल जाय है। त्याग आ धैर्य केवल के वीरता न कहल जा सकै हैय।जौ कि दुश्मन के पराजित न कर सकै। सीता युद्ध न कैलन बल्कि युद्ध के कारण बनलन।त कोन आधार पर सीता के वीर कहल जा सकै हैय।
लक्ष्मण करे रखवारी वीर सीता!
केना लड़े रावण अवीर सीता।
…………………………………
……………………………………
आइयो दागल जाइअ सीता।
आइयो बनैइ अ अवीर सीता।
-आचार्य रामानंद मंडल
निष्कर्षत: सीता के कोमल, पतिपरायण, त्याग आ धैर्य के मूर्ति त मानल जा सकै हैय परंच वीर न मानल जा सकै हैय।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार ,सीतामढ़ी।

Language: Maithili
Tag: लेख
313 Views

You may also like these posts

टुकड़ों-टुकड़ों में बॅंटी है दोस्ती...
टुकड़ों-टुकड़ों में बॅंटी है दोस्ती...
Ajit Kumar "Karn"
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
"किन्नर"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्तों की सिलाई अगर भावनाओ से हुई हो
रिश्तों की सिलाई अगर भावनाओ से हुई हो
शेखर सिंह
“एक कोशिश”
“एक कोशिश”
Neeraj kumar Soni
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
महिला दिवस
महिला दिवस
ललकार भारद्वाज
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
Neelofar Khan
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
मुझे वास्तविकता का ज्ञान नही
Keshav kishor Kumar
तुम्हारी जय जय चौकीदार
तुम्हारी जय जय चौकीदार
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
“गर्व करू, घमंड नहि”
“गर्व करू, घमंड नहि”
DrLakshman Jha Parimal
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
Sunil Maheshwari
गुरु
गुरु
Mandar Gangal
मैं प्रभु का अतीव आभारी
मैं प्रभु का अतीव आभारी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आदि शक्ति
आदि शक्ति
Chitra Bisht
सांप सीढ़ी का खेल, ज़िंदगी..
सांप सीढ़ी का खेल, ज़िंदगी..
Shreedhar
मां के रूप
मां के रूप
Ghanshyam Poddar
नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन
नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन
Kanchan Gupta
संत गुरु नानक देव जी
संत गुरु नानक देव जी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
भय
भय
R D Jangra
चंचल मेरे ये अक्स है
चंचल मेरे ये अक्स है
MEENU SHARMA
विद्यापति धाम
विद्यापति धाम
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
माँ और हम
माँ और हम
meenu yadav
*गुरु (बाल कविता)*
*गुरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
कलयुग के बाबा
कलयुग के बाबा
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
sushil sarna
■ मेरा जीवन, मेरा उसूल। 😊
■ मेरा जीवन, मेरा उसूल। 😊
*प्रणय*
गणेश आये
गणेश आये
Kavita Chouhan
तेरी  जान  तो है  बसी  मेरे  दिल में
तेरी जान तो है बसी मेरे दिल में
Dr fauzia Naseem shad
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
Shweta Soni
Loading...