*सिस्टम सभी हमारे हैं 【हास्य-व्यंग्य गीत】*
सिस्टम सभी हमारे हैं 【हास्य-व्यंग्य गीत】
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सरकारों की ऐसी-तैसी ,सिस्टम सभी हमारे हैं
(1)
तुम्हें चुना है जनता ने माना सरकार बनाया
सेवा करने का यह माना अवसर तुमने पाया
किंतु तुम्हें हम रत्ती भर भी काम न करने देंगे
जाम करेंगे सभी रास्ते राहों पर धरने देंगे
लोग कहेंगे तुम्हें देखकर घूम रहे फटमारे हैं
सरकारों की ऐसी-तैसी ,सिस्टम सभी हमारे हैं
(2)
हमने भाई और भतीजावाद प्रणाली पाली
हर दफ्तर में अफसर अपने प्रथा सोच कर डाली
एक ईंट भी किसी गाँव में तुम लगवा कर देखो
एक सरोवर भी अपने हाथों खुदवा कर देखो
यह मत सोचो हार गए हम ,अभी नहीं हम हारे हैं
सरकारों की ऐसी-तैसी ,सिस्टम सभी हमारे हैं
(3)
सिस्टम के षड्यंत्रों के आगे क्या टिक पाओगे
अकड़ो मत ज्यादा भैया जी ! वरना बिक जाओगे
अफसर-न्यायदेवता रखते पक्षपात की काया
तिकड़मबाजी से जब चाहा जिसको विलन बनाया
जब तक जिंदाबाद हमारा सिस्टम ,वारे-न्यारे हैं
सरकारों की ऐसी-तैसी सिस्टम सभी हमारे हैं
(4)
सारा तंत्र हमारी ही मुट्ठी में रहा-रहेगा
झुक-झुक कर हर एक प्रणाम हमें ही सिर्फ कहेगा
सभी पंचपरमेश्वर-हम थैली के चट्टे-बट्टे
सत्ता के मालिक हम हैं अंगूर तुम्हारे खट्टे
पाँचृ साल तक बंधु तुम्हारे लिए सिर्फ अँधियारे हैं
सरकारों की ऐसी-तैसी सिस्टम सभी हमारे हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451