“सिलसिला प्यार का पल दो पल क्यूं चला?”
पल दो पल क्यूं चला…….-२
ये सिलसिला प्यार का पल दो पल क्यूं चला
ये काफिला प्यार का पल दो पल क्यूं चला…..
वो रूहानियत वो नूरानीयत
साँसों में घुल गयी इस क़दर
वो खामोशियाँ वो सरगोशियाँ
आँखों में घुल गयी इस क़दर
मनचला यूँ जला तन्हा मैं रातभर
दिल का बगीचा क्यूं खिला पल दो पल क्यूं खिला
ये सिलसिला प्यार का पल दो पल क्यूं चला……
मैं ख़्वाबिदा गिर गया बादलों से गिर गया
मुझें क्यूं मिला ये फांसला फांसलों में घिर गया
अब ना आए नज़र वो मेरा हमसफ़र
रुख़ हवाओं का भी फिर गया
मैं दिलजला क्यूं जला पल दो पल क्यूं जला
ये सिलसिला प्यार का पल दो पल क्यूं चला……
क़ुरबत मिली ना मोहब्बत मिली
इनायत मिली मुझको ना चाहत मिली
ये इक़ तरफ़ा का ज़लज़ला धड़कन में क्यूं चला
ये सिलसिला प्यार का पल दो पल क्यूं चला
ये काफ़िला प्यार का पल दो पल क्यूं चला
दिल का बगीचा क्यूं खिला पल दो पल क्यूं खिला
मैं दिलजला क्यूं जला पल दो पल क्यूं जला……
__अजय “अग्यार