सियासत हथियाने की दौड़ में
सियासत हथियाने की दौड़ में,
अच्छे लोगों ने बनाई सरकार है।
खज़ाने में आन्ना नहीं,
अफसाने बनाती हजार है।
कर्ज से फर्ज का वादा,
पूरा कम, घपला ज्यादा,
औवर ड्राफ्ट की रिवायत,
बदहाली में सरकार है।
कहती लायेंगे हरियाली,
लेती वोट देती चोट,
अब भ्रष्टाचार की आई बहार है
सियासत हथियाने की दौड़ में ,
अच्छे लोगों ने बनाई सरकार है।
खाने को दाने नहीं,अफसाने बनाती हजार है।
एक तरफ बेरोजगारी ,
दुसरी तरफ महंगाई की मार है ,
भ्रष्टाचार के व्यापार में संलिप्त हुई नई सरकार है।
रोटी -कपड़ा, शिक्षा,स्वास्थ्य, बिजली-पानी,
सर पर छत देने की, तो बस है एक कहानी ,
मंदिर-मस्जिद सच्च है,
एक अबला की इज्जत लुट गई,
अब कौन कहे ये सब सच्च है।
फ़ैसले करने में जो उलझी ,ये तो नई सरकार है।
आदेश आने के इन्तजार में,
चौकी में बैठा थानेदार है।
धर्म-जात में उलझाई जनता,
लूट-खसूट, भेद-भाव का अब गर्म बाजार है।
सियासत हथियाने की दौड़ में,
अच्छे लोगों ने बनाई सरकार है।
खाने को दाने नहीं,अफसाने बनाती हजार है।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस,
हम देश नहीं बिकने देगें,
सर देश का नहीं झुकने देंगें,
गर आई मुसीबत सीमा पर ,
सीना चीर कर दुश्मन का,
सरहद पर नहीं टिकने देंगें,
तरक्की की आड़ में,
घर भरने के जुगाड़ में,
रेलवे,ऐयर पोर्ट, बैंक बेचने की भरमार है,
मालिक के पास तो घाटे में है,
कम्पनी को देती अरबों-खरबों की बौछार है।
कर्ज के रुपयों से,तरक्की पर ऐतबार है।
देखो आई नई सरकार ,
लक्ष्मी के वाहन उल्लु पर है सवार,
धन की कमी अब नहीं आने वाली,
नास्ति में तो है विकास की गाथा ,
मौके पर नहीं दूर-दूर तक सच्च से नाता।
सरकार की है बड़ी उपलब्धी ,
गरीबी जड़ -मूल से मिट चली समझो,
सबका साथ सबका बिकास,
नारे में दमखम तो बेशुमार है
सियासत हथियाने की दौड़ में,
अच्छे लोगों ने बनाई सरकार है।
खजाने में आन्ना नहीं,अफसाने बनाती ” माही” हज़ार है।
लेख राज