वतन
विधा- मुक्तक
वीरगति जो वरण किए थे, ख्वाब लिए आजादी का।
दिल में भरकर देश-प्रेम जो, दंश सहे बर्बादी का।
नमन करो उन वीरों की जो, हँसकर जान गँवा बैठे-
खंडित किए गुरूर यहाँ पर, ब्रिटिश दुष्ट उन्मादी का।
पलट के पन्ने इतिहास के, आओ फिर दुहराते हैं।
मातृभूमि पर मरने वालों, की हम गाथा गाते हैं।
कर लें याद उन्हें हम फिर से, जिन्हें तिरंगा कफ़न मिला-
अमृत महोत्सव आजादी का, आओ आज मनाते हैं।
वीर शहीदों की यह धरती, इसे नमन है मेरा।
भिन्न-भिन्न पुष्पों से शोभित, खिला चमन यह मेरा।
मुकुट हिमालय शोभे सर पर, सागर चरण पखारे-
धरती पर है स्वर्ग कहीं तो , सिर्फ वतन यह मेरा