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24 Nov 2021 · 3 min read

मिताइ।

मिताइ।
सियाराम आइ इ दुनिया में न हैय। परंच जौं अकेला में रहि छी त बड याद आबैय।हम दूनू गोरे संगी रही। स्कूल में साथे पढी। मिडिल स्कूल में त एके साइकिल सं स्कूल जाइ।उ बैक खींच के ले जाय।उ फस्ट करे आ हम सेकेंड करी।
हं। सियाराम के सर दर्द के बीमारी रहे। कहियो कहियो देखिए कि वो गमछा से माथा के खूब कस के बांध लेवे।खुब माथा में भिक्स रगड़े।आ खूब पढे।बुझाय कि जेना सियाराम के पढे के भी बीमारी हैय।बीमारो रहला पर पढाई न छोड़े।
हाइ स्कूल में हास्टल में एके रूम में रही।पढे में दूनू गोरे के प्रतिस्पर्धा रहे।अपन लालटेन साफ रखे मे भी प्रतिस्पर्धा रहे। लालटेन के शीशा एकदम साफ रहे। खूब इजोत दे।हां। पढ़ाई के प्रतिस्पर्धा में दूइ बजे रात सं पढाई शुरू क देबे।जब जाने कि हम पढब त उ अपन लालटेन के लौ कम के सुते के ढंग ध लेबे।कि हम सुत रही। तब हम देख के सुत रही। जब हम पढे ला उठी त देखै छी त सियाराम पढैत रहे। कभी हम सेकेंड करी त उ थर्ड आ उ सेकेंड करी त हम थर्ड।तेसर लैयका वरुण हमेशा फस्ट करे।
ग्यारहवीं यानी मैट्रिक के सेन्टप परीक्षा में एगो चौथा लैयका किशोर सेकेंड कैलक।हम थर्ड आ सियाराम चौथा स्थान पर चल गेल। वरुण फस्ट रहें। मैट्रिक बोर्ड में हम सेकेंड कैली आ सियाराम थर्ड। वरूण आ किशोर फस्ट। इण्टर में हम सेकेंड आ सियाराम थर्ड।
हम पढ़ैत रहली आ सियाराम पढाई छोड़ देलक आ नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र के एगो स्कूल में पढाबे लागल। असल में सियाराम के घर नेपाल के तुलसीगामा में रहे। वो हमरा गांव में अपना संबंधी के इंहा रह के पढ़ें।सियाराम के शादी भेल।धिया पुता भेल। एगो बेटा इंजिनियर हैय।वो कबहु हमरा गांव अपना कुटुंब इंहा आवे तो हमरा से अवश्य मिले। हम हुं बीएससी क के बेरोजगारी से जुझैत रही। हमरो कहे – दयानंद ,चला नेपाल। नेपाल में साइंस टीचर के बड कमी हैय। दुर्गम क्षेत्र में दुगुना दरमाहा मिलै हैय। भारत के बहुत लोग साइंस टीचर हैय।परंच हम नेपाल न गेली।हम यही एगो वित्त रहित इण्टर महाविद्यालय में डिमांस्ट्रेटर के रूप मे पढाबे लगली।कि आइ न काल्हि सरकारी कालेज हो जतै। तेरह बरख बीत गेल कालेज सरकारी न भेल। परंच हम प्राथमिक शिक्षक के लेल फार्म भर ले रही। पीटी में पास कैली। बाद में मुख्य परीक्षा भेल।ओहु में सफल भे के मध्य विद्यालय में योगदान कैली।बीच-बीच में सियाराम से भेंट होइत रहे। कुछ दिन से सियाराम से भेट न होय। तो हम हुनका कुटुंब से पुछली त कुटुंब बतैलक कि सियाराम बीमार हैय। नेपाल के बड़का बड़का अस्पताल में चिकित्सा भेल परंच बीमारी के पता न चल रहल हैय।आबि हुनकर चिकित्सा दिल्ली में मेदांता अस्पताल में चल रहल हैय। मेदांता में सियाराम के एगो बडका बिमारी ब्रेन ट्यूमर के पता चलल। कुछ दिन दवाई से चिकित्सा भेल। अंत में ब्रेन के सर्जरी भेल। चिकित्सा सफल न भेल ।सियाराम अइ दुनिया के छोड़ के सदा के लेल चल गेल। बुझाई सियाराम के सिर दर्द ब्रेन ट्यूमर के कारण होय। परंच इ बात पहिले न जानी। लगभग दस वरष भे गेल।हमहू अब सरकारी सेवा सं रिटायर्ड छी। परंच जब भी अकेला में होय छी सियाराम के मिताइ याद आबैय जे हमरा पढाई में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न कैलक।
स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Maithili
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