Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Aug 2021 · 1 min read

साहित्य में सकारात्मक पक्ष के स्थान पर नकारात्मक पक्ष

वर्तमान परिवेश में साहित्य में सकारात्मक पक्ष के स्थान पर नकारात्मक पक्ष को अधिक महत्व देने की प्रासंगिकता ।

साहित्य समाज का दर्पण कहलाता है जैसा समाज में घटित होता है साहित्य उसे प्रतिबिंबित करता है और किसी विषय से सम्बन्धित लोगों की सोच कैसी है साहित्य में चित्रित होती है पर साहित्य में सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों पक्ष संतुलित स्थिति में दृष्टिगोचर नहीं होते ।
नकारात्मकता सकारात्मकता पर हावी हुई प्रतीत होती है जबकि हमारी संस्कृति सकारात्मक होने के कारण सकारात्मक सोच विकसित करने की ओर प्रेरित करती है जैसे नारी चित्रण में देखते है कि नर ही नारी पर हावी होता नजर आता है साथ ही पुरूष संबंधी भी नारी शोषण में अहं भूमिका निभाते है क्योंकि जो पुरातन सोच अब तक विकसित है उसके आगे की पुरूष प्रधान समाज सोच नहीं पाता । यही नकारात्मक प्रवृत्ति है जो साहित्य में दिखाई देती है ।जैसे कल हमने “नीलू ” कहानी में बहुत सी बातें ऐसी पायी जो यथार्थ स्थिति का वर्णन करती है पर साहित्य को नकारात्मक सोच प्रदान करती है ।
जब हम नारी उत्थान की बात करते है और नारी द्वारा समाज को निर्देशित करने की बात करते है तो यहाँ सकारात्मक सोच स्पष्ट रूप से दिखाई देती है । जैसे ”
एक नहीं दो -दो मात्राएं ,
नर पर भारी नारी ।
यहाँ नारी सकारात्मक सोच की स्पष्ट झलक दिखाई देती है

Language: Hindi
Tag: लेख
77 Likes · 732 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
चल अंदर
चल अंदर
Satish Srijan
*हिंदी तो मेरे मन में है*
*हिंदी तो मेरे मन में है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
Sunil Suman
गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
Subhash Singhai
हर दिन एक नई दुनिया का, दीदार होता यहां।
हर दिन एक नई दुनिया का, दीदार होता यहां।
Manisha Manjari
जंग लगी थी सदियों से शमशीर बदल दी हमने।
जंग लगी थी सदियों से शमशीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"इम्तहान"
Dr. Kishan tandon kranti
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
Sanjay ' शून्य'
सुबह, दोपहर, शाम,
सुबह, दोपहर, शाम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
11, मेरा वजूद
11, मेरा वजूद
Dr .Shweta sood 'Madhu'
मिट जाता शमशान में,
मिट जाता शमशान में,
sushil sarna
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
😊 लघुकथा :--
😊 लघुकथा :--
*प्रणय*
जिज्ञासा
जिज्ञासा
Neeraj Agarwal
ਉਂਗਲੀਆਂ ਉਠਦੀਆਂ ਨੇ
ਉਂਗਲੀਆਂ ਉਠਦੀਆਂ ਨੇ
Surinder blackpen
3035.*पूर्णिका*
3035.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुरे वक्त में भी जो
बुरे वक्त में भी जो
Ranjeet kumar patre
कल रात
कल रात
हिमांशु Kulshrestha
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
प्रारब्ध का सत्य
प्रारब्ध का सत्य
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जग के का उद्धार होई
जग के का उद्धार होई
राधेश्याम "रागी"
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
Ravi Prakash
पिता
पिता
Shashi Mahajan
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
©️ दामिनी नारायण सिंह
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
अमित
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
seema sharma
जिन स्वप्नों में जीना चाही
जिन स्वप्नों में जीना चाही
Indu Singh
Loading...