साहस अभाव
. …. गीत ….
” साहस अभाव ”
साहस अभाव में सुजनों के
दुष्टों का साहस पलता है
हों असुर अधर्मी धरनी पर
उनका दुःशासन छलता है
आदर्श धर्म में बिंधकर हम
क्यों दानवता को झेल रहे ?
आतंक व्याप्त कर रक्त पात
वे मानवता से खेल रहे
धर छद्म रूप भर अहंकार
निर्मम निर्दयी किलकता है ।
साहस अभाव ……………..।।
क्यों चीख रहे कर त्राहि माम ?
तुम स्वयं नहीं कुछ कर पाये
. बन मूक बधिर क्यों सोच रहे ?
वह कृष्ण ! पुनः भू पर आये
अपमानित होकर बैठे हो
क्यों भुज बल नहीं मचलता है ?
साहस अभाव ………………..।।
जीवित रखनी यदि मानवता
हाथों में शस्त्र उठा लो तुम
प्रतिकार अग्नि की ज्वाला में
दानवता सहज जला दो तुम
जब एक क्षत्र बलवान बनें
तब मानव- दीपक जलता है
साहस अभाव ……………..।।
डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ