साहब कांसीराम
विनोद सिल्ला की कुंडलियां
साहब कांसीराम थे , हम सबके महबूब|
सोच बड़ी लेकर चले , मिशन चलाया खूब||
मिशन चलाया खूब, जगाया था बहुजन को|
सरकारी पद त्याग , बनाया था संगठन को||
कह ”सिल्ला” कविराय, त्यागा चैनो आराम|
बिशन कौर के लाल , थे साहब कांसीराम||
-विनोद सिल्ला©