सास बहू
सास बहू की अब नहीं, होती है तकरार
अलग अलग बहती नहीं, इनके मन की धार
इनके मन की धार, नहीं रस्मों का बन्धन
चलें एक सी चाल, करें दोनों ही फैशन
कहे ‘अर्चना’काम,नौकरानी करतीं सब
इसीलिए तो रार, न करतीं सास बहू अब
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
सास बहू की अब नहीं, होती है तकरार
अलग अलग बहती नहीं, इनके मन की धार
इनके मन की धार, नहीं रस्मों का बन्धन
चलें एक सी चाल, करें दोनों ही फैशन
कहे ‘अर्चना’काम,नौकरानी करतीं सब
इसीलिए तो रार, न करतीं सास बहू अब
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद