Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2017 · 2 min read

सास-बहू (लघुकथा)

सास-बहू (लघुकथा)

आरती बहू जरा चाय बनाना साथ में पकौड़े भी।पड़ोस के मि.मेहता साहब आये हैं बड़े ही सुलझे हुए और समझदार इंसान हैंऔर ये पर्दा करने की कोई जरूरत नहीं है।

अभी आई मम्मीं जी , अपने बेडरूम से बाहर निकलते हुए आरती मधुर स्वर में बोली।मानों बागों में कोयल कूक रही हो।मम्मीं जी चाय -पकौड़े तैयार है ,क्या मैं लेकर आऊँ?
हाँ-हाँ बहू ,पूछना क्या है?
अंकल हैं,उनसे कैसी लज्जा ?

मि.मेहता का चरण -स्पर्श कर आरती धीरे से अपने रूम में चली गई।आरती मन-ही -मन सोच रही थी न जानें क्यों ?बेबजह ही लोग सास से चिढ़ते हैं ससुराल के बारे में पहले से ही गलत धारणा मन में बना लेते हैं।

”आरती बेटा, तुम मेरी बहू नहीं बेटी हो।”अभी तुम्हारी शादी को तो बस एक ही माह हुए हैं और तुमने भान ही नहीं होने दिया कि मैं तेरी सास हूँ।जी, मम्मीं जी!मम्मीं जी नहीं सिर्फ मम्मीं………..।ओके

हैलो ,आरती बेटा कैसी हो ससुराल में सब ठीक तो है।प्रणाम मम्मीं ,मैं ठीक हूँ आप कैसी हैं ?अपना ख्याल रखियेगा और पापा ,गोलू ,सोनू सब ठीक है ना।हाँ मेरी प्यारी गुड़िया ,सब लोग अच्छे हैं।मुझे तो बस तेरी चिंता हो रही है।न जाने ससुराल वाले तेरे साथ कैसा व्यवहार करते हैं?तुम तो हमेशा ठीक ही बोलती हो परंतु मैं माँ हूँ ना दिल घबरा जाता है।सास कभी माँ …………..।
मम्मीं आप भी वही पुरानी दकियानुसी बातों के पीछे पड़ी रहती हैं।ठीक है मम्मीं ,प्रणाम!

बेटा आरती,आज शाम मेहता जी के घर बर्थडे पार्टी है सबको बुलाया ।जड़ी वाली सूट पहन लेना ।हमलोगों खूब मस्ती करेंगे ।मम्मीं ,मैं अभी आई !

आइए-आइए भाभीजी, बहू को भी लाईं हैं ।नमस्ते अंकल,नमस्ते आंटी!खुश रहो आरती बहू।भाई ये मेरी बहू नहीं बेटी है।बहुत संस्कारी और शांत स्वभाव की है ।

सास की बात आरती बड़े गौर से सुन रही थी और मन-ही-मन सोच रही थी ,क्या यही सास की परिभाषा है?या कुछ और………………।

सरस्वती कुमारी
ईटानगर (अरूणाचल प्रदेश )।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 1498 Views

You may also like these posts

बाल कविता –
बाल कविता –
पूनम दीक्षित
33Win cung cấp các thể loại game nổi bật như cá cược thể tha
33Win cung cấp các thể loại game nổi bật như cá cược thể tha
Nhà cái 33WIN
सपनों का पर्दा जब जब उठा
सपनों का पर्दा जब जब उठा
goutam shaw
फिर कब आएगी ...........
फिर कब आएगी ...........
SATPAL CHAUHAN
दीपावली स्वर्णिम रथ है
दीपावली स्वर्णिम रथ है
Neelam Sharma
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
पूर्वार्थ
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
जब टूटा था सपना
जब टूटा था सपना
Paras Nath Jha
" कुछ लोग "
Dr. Kishan tandon kranti
जागरूकता के साथ शुद्धि के तरफ कैसे बढ़े। ~ रविकेश झा ।
जागरूकता के साथ शुद्धि के तरफ कैसे बढ़े। ~ रविकेश झा ।
Ravikesh Jha
लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
डॉ.सीमा अग्रवाल
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
Harminder Kaur
सफर पर है आज का दिन
सफर पर है आज का दिन
Sonit Parjapati
कहां गए (कविता)
कहां गए (कविता)
Akshay patel
*ज्ञानी (बाल कविता)*
*ज्ञानी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
” मजदूर की जुबानी “
” मजदूर की जुबानी “
ज्योति
ए कानून की कद्र करने वाली मल्लिका
ए कानून की कद्र करने वाली मल्लिका
Krishan Singh
विधाता है हमारे ये हमें जीना सिखाते हैं
विधाता है हमारे ये हमें जीना सिखाते हैं
Dr Archana Gupta
2459.पूर्णिका
2459.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
चौथापन
चौथापन
Sanjay ' शून्य'
"अनुरोध"
DrLakshman Jha Parimal
मेरी शायरी की छांव में
मेरी शायरी की छांव में
शेखर सिंह
सम्भाला था
सम्भाला था
भरत कुमार सोलंकी
मैं भारत की माटी से आती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ
Indu Nandal
नवयुग निर्माण में हमारे सपने
नवयुग निर्माण में हमारे सपने
Sudhir srivastava
तेरे लिखे में आग लगे
तेरे लिखे में आग लगे
Dr MusafiR BaithA
दीपावली का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय पक्ष
दीपावली का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय पक्ष
इंजी. संजय श्रीवास्तव
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मेरे पांच रोला छंद
मेरे पांच रोला छंद
Sushila joshi
कौन कहता है कि अश्कों को खुशी होती नहीं
कौन कहता है कि अश्कों को खुशी होती नहीं
Shweta Soni
Loading...