सावन में झूलों का उत्सव
गीत – सावन में झूलों का उत्सव
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अंबर का यह रूप निराला,
सबके मन को भाया है।
सावन में झूलों का उत्सव,
खुशियाँ लेकर आया है ।।0।।
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सावन जब-जब बरसे रिमझिम,
तन-मन को हर्षाया है ।
मोर पपीहा प्रेम मगन हो ,
झूम-झूम लहराया है ।
महके मिट्टी पुण्य धरा की ,
सौंधी सोन सुहाया है ।
सनन-सनन चलकर पुरवाई,
मन की प्यास बढ़ाया है ।
जीवों में आनंद भरे नित ,
रुत मन को महकाया है ।
सावन में झूलों का उत्सव,
खुशियाँ लेकर आया है।।1।।
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पावस के बूंदों ने अब तो,
मन आनंदित कर दी है ।
प्यासे प्रेमी के अधरों में,
प्यास भी अतुलित भर दी है।
रंग बिरंगी फूल खिले हैं,
भौरा गुनगुन करता हैं ।
यौवन पर है नव निखार अब,
प्रेम हृदय में भरता है ।
सुखद सुहाना इस मौसम ने,
मन मे आग लगाया है।
सावन में झूलों का उत्सव,
खुशियाँ लेकर आया है।।2।।
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रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पिपरभावना, बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822