सावन बरसा झूम-झूम कर
गीत
प्रदत शब्द – सावन बरसा झूम-झूम कर, तृप्त धरा फिर मुस्काई।
जोर शोर से जलधर गरजा, चंचल चपला मुस्काई।
बूंद बूंद बरसी धरती पर, हरियाली कैसी छाई।
डाल-डाल सब झूम रहे हैं ,कण-कण है खुशियां छाई।
पवन चमन हिलोरे ले रही, कली कली है खिल आई।
नित तप्त धरा नहा रही है, बूंद -बूंद अंग समाई.
सावन बरसा झूम झूम कर , तृप्त धरा फिर मुस्काई।
अंग -अंग सभी मल रहे हैं, स्याह केश घट लहराई।
चुनर ओढ़े हरियाली की, अरु धानी अंग सजाई।
कुसुम- कुसुम अंग-अंग लिपटे, है रोम रोम में महकाई।
सावन बरसा झूम झूम कर, तृप्त धरा फिर मुस्काई।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश