देश प्रतियोगित के लिए
हमारे देश की माटी ।
उठा कर रख हथेली पर
मिला ले गंगाजल उसमे।
लगा ले तू पेशानी पर ।
विजय का जब तिलक होगा।
तो रंगी वो फ़लक होगा ।
समर में आत्मबल तेरा।
अकेले ,अग्निपुंज होगा ।
अड़िग होगा ये बल तेरा ।
भले ही कितना छल होगा ।
नही संदेह,तेरी वीरता पे।
है तनिक सुन ले ,मगर जब ।
तू लगा लेगा कवच रूपी तिलक
सर पे ,रहूगी युद्ध भूमि में
तेरे संग मैं ,हू भले घर पे।
लगेगा चल रही है माँ
तेरे संग थाम कर अंगुली
मिलेगी पुत्र तुझको लक्ष्य की
हर राह फिर खुली।
लगे गर घाँव तुझको तो,
तुझे कुछ दर्द ना होये ।
ये गंगाजल की शक्ति यू
तेरे हर दर्द को धोये।
ये माटी घाँव पर मरहम
समझ कर तू लगा लेना ।
मेरे हाथों का स्पर्श पुत्र
इससे ही तू पा लेना ।
हुआ शहीद तेरा लाल ।
नही स्वीकार है सुनना ।
पराजित हो गिरे चरणों में
दुश्मन ऐसे रण करना।
विजय का ये तिरंगा जब तू ।
फैलाना उस सरहद पार ।
बता देना क्यों हारा वो ।
जता देना तू उसकी हार ।
अगर विपदा कोई आये
हे गंगा मुझको मिल जाए ।
दे आशिर्वाद ऐसा पुत्र मेरा
विजित हो आए, दे आशिर्वाद- – ————————————– @मनीषा जोशी मनी ————————————