सावन दिखा दिया
उलझन में था दिमाग ,की अपना नहीं है कौन,
ठोकर लगा के उसने ,अपनापन दिखा दिया।
आंखों में जम गयी थी ,गलतफहमीयों की धूल,
सब साफ हो गया ,जब उसने सावन दिखा दिया।
– सिद्धार्थ पाण्डेय
उलझन में था दिमाग ,की अपना नहीं है कौन,
ठोकर लगा के उसने ,अपनापन दिखा दिया।
आंखों में जम गयी थी ,गलतफहमीयों की धूल,
सब साफ हो गया ,जब उसने सावन दिखा दिया।
– सिद्धार्थ पाण्डेय