सावन गीत
टिप टिप टिप सावन की लड़ी,
तन पे गिरे बूंदों की झड़ी।
धरा उमंग से झूम उठी,
लगने लगी है हरी भरी,
टिप टिप……………
बदरा मगन हो झूम रहे,
गगन चमक रहे जैसे मणी।
पुरुवा पवन सिहरा रही है,
तन मन को खड़ी खड़ी।
टिप टिप……………….
बाग झुलों से मस्त पड़े,
कोयल पपीहा व्यस्त रहे।
भींग के बूंदों से यौवन,
चलती जैसे टिक टिक घड़ी।
टिप टिप ……………….
तरु मिलने को मचल रहे,
कीट पतंग भी विकल रहे।
मही गगन का मिलन देख,
चपला है विह्वल बड़ी,
टिक टिक टिक…………
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अशोक शर्मा,कुशीनगर, उ.प्र.
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