सावन के दोहे
प्रदत्त शब्द-छाता, घटा,रिमझिम
१)महिना सावन आ गया, रिमझिम है चहुँ ओर।
पेड़ों पर फल लद गये, नाचे वन में मोर।।
२)छाता साजन ले गये, भीगे मन के तार।
तडप रहा पूरा बदन, मन में उठे हुलार।।
३)देख घटा बढ़ने लगी, पिया मिलन की प्यास।
बैठ गयी सज-सँवर के ,सजनी पी के पास।।
४)रिमझिम रिमझिम हो रही,देख घटा संगीत।
तडपे सजनी रात भर, पास नही जब मीत।।
५)देख घटा मन डोलता, मोर सुनाते गीत।
अब तो आकर देख लो, ओ मेरे मनमीत।
६)धरती हर्षित हो रही,घिरी घटा घनघोर।
पुरवायी भी कर रही,मधुर मनोहर शोर।।
संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात