सावन की शुचि तरुणाई का,सुंदर दृश्य दिखा है।
सावन की शुचि तरुणाई का , सुंदर दृश्य दिखा है।
घर-आंगन की अँगड़ाई पर, सुंदर गीत लिखा है।
यौवन दहका,बारिश चहकी,बूंद बूंद है महकी।
तन्हाई में अब तरुणी ज्यों , पावन दीपशिखा है।
डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम।