सावन की रितु(कुंडलिया)
सावन की रितु आगई रिमझिम बरसै मेह,
भीजै तन बरसात में मन में सरसै नेह।
मन में सरसै नेह भये पुलकित नर नारी,
बाल वृन्द हैं मगन झूलती हैं महतारी।
नारि सिहाई मिली खबर उनके आवन की,
मोसौं सबको करै सुखी यह रितु सावन की।
जयन्ती प्रसाद शर्मा, दादू।