सावन की बारिश
****सावन की बारिश****
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सावन की बारिश है आई,
मेघों की ध्वनि दी सुनाई।
उमड़-उमड़ है बादल गरजे,
काली घटा अन्धेरा पसरे,
फैली गरमी दूर भगाई।
सावन की बारिश है आई।
फसलें हुई सभी हरी-भरी,
दिखती थी सारी मरी-मरी,
हरियाली हर गुल पर छाई।
सावन की बारिश है आई।
सजनी भी पिया को तरसे,
गौरी का अंग-अंग फड़के,
दूर हुई बालम रुसवाई।
सावन की बारिश है आई।
चाँद – चकोरी भोली सूरत,
इश्क़िया बाढ़ में डूबी मूरत,
तन-मन मे है आग लगाई।
सावन की बारिश है आई।
मनसीरत मन हरपल झूले,
सावन की है शीतल बूंदे,
नीले नभ से झट बरसाई।
सावन की बारिश है आई।
सावन की बारिश है आई।
मेघों की ध्वनि दी सुनाई।
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सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)