सावनी गीत
छायी सावन में हरियाली,
सन हवा चली मतवाली।
रिमझिम-रिमझिम पड़े फुहार,
दामिनि चमक करे उजियार।
ये तो बदली है काली-काली,
सन हवा चली मतवाली ।।1।।
झूम – झूम गावत कजरी,
बूँदन माँग भरे बदरी ।
चूनर उड़ती गोटे वाली,
सन हवा चली मतवाली।।2।।
गोरे हाथों मेंहदी रचा के,
भीनी-भीनी गजरा सजा के।
गोरी पहने कानों में बाली,
सन हवा चले मतवाली।।3।।
झूला झूलत सारी सखियाँ,
राह निहारे कारी अँखियाँ।
भोली सूरत मधु की प्याली,
सन हवा चली मतवाली।।4।।
**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**