सावधानी
सावधानी किससे ?
दोस्त या दुश्मन से ?
दोस्ती –
स्वार्थ से भरी –
मानो विष की बेल
और दुश्मनी –
मरने-मारने का खेल ;
यूं तो नजर दुश्मन पर
खुद ही रहती है बनी
पर हमें बचना है उनसे –
जो दोस्ती की आड़ में
निभाते हैं दुश्मनी ….।
(मोहिनी तिवारी)