साल 2024… लीप ईयर के बजाय पेपर लीक ईयर के नाम से क्यों जाना
साल 2024… लीप ईयर के बजाय पेपर लीक ईयर के नाम से क्यों जाना जाएगा?
क्या है लीप ईयर? और इस साल कितने बड़े पेपर लीक हुए?
आइए जानते है इस लेख के माध्यम से,
साल 2024, जो एक लीप ईयर था, लेकिन इस साल को इतिहास में लीप ईयर से ज्यादा लीक ईयर के नाम से याद किया जाएगा। क्यों?
क्योंकि इस साल एक के बाद एक कई बड़ी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हुए, जिससे न सिर्फ लाखों छात्रों के भविष्य पर असर पड़ा, बल्कि हमारी परीक्षा प्रणाली पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया।
तो सबसे पहले जानते हैं, क्या होता है लीप ईयर?
लीप ईयर वो साल होता है, जब फरवरी का महीना 29 दिनों का होता है। ऐसा हर चार साल में होता है। पिछला लीप ईयर 2020 में आया था और अगला 2028 में आएगा।
लेकिन इस बार फरवरी के 29 दिनों से ज्यादा चर्चा उस ‘लीक कल्चर’ की हुई, जिसने पूरे देश को शर्मसार कर दिया।
अब जानिए, क्यों इसे लीक ईयर कहा जा रहा है?
2024 में कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं के पेपर लीक हुए। ये घटनाएं छात्रों की मेहनत, उनके सपनों और शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता के साथ खिलवाड़ हैं। आइए जानते हैं, इस साल कौन-कौन सी परीक्षाएं लीक हुईं।
2024 में लीक हुई प्रमुख परीक्षाएं:
NEET यूजी 2024 – मेडिकल के छात्रों के लिए यह परीक्षा सबसे अहम मानी जाती है, लेकिन इस बार पेपर लीक ने लाखों छात्रों को प्रभावित किया।
यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा – लाखों युवाओं के सपनों पर पानी फेरते हुए यह पेपर भी लीक हुआ।
UGC नेट 2024 – देशभर के Researchers के लिए यह परीक्षा भी सुरक्षित नहीं रही।
UP-PSC RO-ARO परीक्षा – प्रशासनिक सेवाओं के लिए यह परीक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन लीक का दाग इससे भी जुड़ गया।
झारखंड SSC CGL 2024 – बेरोजगारी में रोजगार की आस लगाए युवाओं को इस लीक ने झटका दिया।
राजस्थान दरोगा भर्ती परीक्षा – सुरक्षा सेवाओं की भर्ती में भी पारदर्शिता की पोल खुल गई।
अगर हम बिहार की बात करें तो, बिहार में BPSC, BPSC टीचर, बिहार police आदि पेपर लीक हुए।
पेपर लीक की स्थिति कितनी गंभीर है?
ये समस्या सिर्फ 2024 तक सीमित नहीं है। अगर हम आंकड़ों पर नज़र डालें, तो 2019 से लेकर अब तक पूरे भारत में 65 बड़ी परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं।
सबसे ज़्यादा पेपर लीक कहाँ हुए?
आंकड़े बताते हैं:
उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा 8 बार पेपर लीक हुए।राजस्थान और महाराष्ट्र में 7-7 बार।
बिहार में 6 बार।
गुजरात और मध्य प्रदेश में 4-4 बार।
हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 3-3 बार।
दिल्ली, मणिपुर और तेलंगाना में 2-2 बार।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और नागालैंड में 1-1 बार।
आखिर समस्या कहाँ है?
सोचिए, एक छात्र दिन-रात मेहनत करता है, किताबों में घंटों बिताता है, और जब परीक्षा देने पहुंचता है, तो पता चलता है कि पेपर पहले ही लीक हो चुका है। यह केवल छात्रों के साथ धोखा नहीं है, यह हमारे सिस्टम की नाकामी का सबसे बड़ा सबूत है।
आखिर इस समस्या का समाधान क्या है?
परीक्षा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लानी होगी।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और तकनीक का सही उपयोग करना होगा ताकि प्रश्नपत्र सुरक्षित रहें।
लीक करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।
परीक्षा प्रणाली को और अधिक आधुनिक और सुरक्षित बनाना होगा।
तो दोस्तों, 2024 को इतिहास में लीप ईयर से ज्यादा लीक ईयर के नाम से याद किया जाएगा।
क्या हमारी परीक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है?
क्या आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली बनेगी ?
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
इस लिए हमे कमेंट में ज़रूर बताए ।
फिर मिलते है किसी और लेख में तब तक के लिए
जय हिंद
शकिल आलम- छात्र, पत्रकारिता एवं जनसंचार, विभाग, MANUU