साली देखी मद से भरी
***साली देखी मद से भरी (दोहावली)***
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कानों में बाली सजी ,पायल की झंकार।
जाली में मुखड़ा छिपा,क़ातिल नैन कटार।।
काली श्यामल मेघ सी,उलझे-उलझे बाल।
मय प्याली साली लगे,सुंदर गोरे गाल।।
चाँद – चकोरी बांवरी, मतवाली है चाल।
नैन – नशीले मद भरे,बिगड़े दिल का हाल।।
आसमां से गिरी परी,धरती पर भूचाल।
हाल-बेहाल कर चली,काम ना आई ढाल।।
मनसीरत तो मनचला,भटके मन का ध्यान।
साली देखी मद से भरी,धरा रह गया ज्ञान।।
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सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)