सार संभार
मृदा. जल औ वायु की मदद
से ही हर बीज में फूटे अंकुर
शीत.ताप और प्रकाश से वो
ग्रहण करता ऊर्जा भरपूर
समय के साथ होता जाता
है उसका क्रमिक विकास
पत्ती.तना.शाखाएं सब मोहें
हरेक शख्स को अनायास
जो समय समय पर होती रहे
उनकी समुचित देखभाल
आगे वे अपने विशाल रूप
से करते संरक्षक को निहाल
रखरखाव में बरती गई यदि
किसी तरह की असावधानी
तो सृष्टि में बचती नहीं कहीं
उनके अस्तित्व की निशानी
हर व्यक्ति को सीधा संदेश
देती है प्रकृति यही बारंबार
जो चाहो हरियाली तो करो हर
अंकुर का समुचित सार संभार