सारे शारीरिक सुख को त्याग कर मन को एकाग्र कर जो अपने लक्ष्य
सारे शारीरिक सुख को त्याग कर मन को एकाग्र कर जो अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होता है वही अपने जीवन को साकार कर पाता है।
शारीरिक सुख एक ऐसा कुंआ है जिसमे एक बार गिरने के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
RJ Anand Prajapati