सारा ही जग तप रहा
सारा ही जग तप रहा , खिली हुई यूँ धूप
अमलतास का पर हुआ , सोने जैसा रूप
सोने जैसा रूप, दहकता भी गुलमोहर
धरती का श्रृंगार , कर रहे मिलकर सुन्दर
मगर अर्चना आज आदमी गम का मारा
मौसम की खा मार , बिगड़ता जीवन सारा
डॉ अर्चना गुप्ता
सारा ही जग तप रहा , खिली हुई यूँ धूप
अमलतास का पर हुआ , सोने जैसा रूप
सोने जैसा रूप, दहकता भी गुलमोहर
धरती का श्रृंगार , कर रहे मिलकर सुन्दर
मगर अर्चना आज आदमी गम का मारा
मौसम की खा मार , बिगड़ता जीवन सारा
डॉ अर्चना गुप्ता