सारस छंद
विधा– सारस छंद
सृजन शब्द –जीवन
मात्राभार -24
पदान्त –2
यति– 12,12
मापनी –2112-2112,2112-2112
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नश्वर ये जीवन हो,मानवता पावनता।
नीरसता त्याग सभी, पाल नहीं व्याकुलता।।
जीवन धारा बहती,मानव उसमें तरता।
पाकर मीठे सपने,जीकर जग में भरता।।
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लालच त्यागे सब ही ,आदर पाये जन में।
सोच सदा पालन की ,दीनन सेवा मन में।।
मानव भोगे सुख वो, वैभव सच्चा मिलता।
सौरभ फैले यश का, शान पताका खिलता।।
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जो उपकारी बनते, जीवन तब ही सजता।
वो सुखकारी रहते, पावन अनुभव फलता।।
प्रेम सदाचार रहे, आँख दया नीर बहे।
ईश सदा साथ रहे, माथ झुका द्बार रहे।।
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शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 🙏