साया
रोमांच कथा —
#साया
अभी रात्रि के साढ़े 12 ही बजे थे। आदतन मीरा स्तुति ,मंत्र आदि मन ही मन में पढ़ रही थी।पतिदेव ने दो मिनिट पहले ही समाचार सुनना बंद कर टी. वी. बंद किया था।मीरा सुबह उठती तब भी कोई न कोई स्तुति,मंत्र पाठ उसके अंतर में चलता ही रहता था। और जब सो नहीं जाती तब भी।अक्सर काम करते हुये भी वह कुछन कुछ पढ़ती रहती।इससे उसका ध्यान परेशानियों से भटक जाता और सुकूं महसूस करती ।सोचती जो होना है वह होगा ही,जितना उसके हाथ में हैं वह भरपूर करती ही है।
अभी भी वह मुँह कंबल में छिपाये विनती पढ़ रही थी अचानक उसे महसूस हुआ कि बायीं तरफ से कोई आया है।”पतिदेव होंगे ,स्विच चेक कर रहे होंगे..।”सोच वह वैसे ही जप करती रही। तभी उसे लगा कि किसी ने बहुत बुरी तरह से उसे पूरी ताकत से जकड़ा हुआ है !वह डर गयी उसने चीखना चाहा तो आवाज गले में घुट गयी ।उसके हाथ पाँव ही क्या पूरा बदन जैसे किसी ने कंबल के ऊपर से जकड़ लिया था।पतिदेव तो बिल्कुल ही नहीं थे। कंबल के ऊपर रजाई भी थी उस पर से किसी का उसके वजूद को अपने वजूद से जकड़ना। शरीर निस्पंद था लेकिन दिमाग ने विनती छोड़ मंत्र जाप करना शुरु कर दिया ।दो मिनिट बाद जकड़न ढीली होती हुई कम हो गयी। “कौन हो सकता है?”हिम्मत की कंबल से मुँह बाहर निकालने की तभी ऐसा लगा किसी ने पूरी ताकत से फुंफकारते हुये रजाई खींची ।हवा का झौंका महसूस हुआ।और फिर सब शांत।
मंत्र जाप करते करते सिहरती हुई वह कब सो गयी पता ही न चला।सुबह उठी तो वाक्या पूरा ज्यों का त्यों याद था और वह अहसास भी।
“सुनिये,यह सेंट लगा कर बाहर जाना बंद कर दीजिए।मुझे एलर्जी है। ”
कमरे में सेंट की महक महसूस करते हुये दिमाग सोचने लगा कि कहीं रात्रि को सेंट से आकर्षित होकर कोई #साया पतिदेव के साथ तो नहीं आ गया था?
मनोरमा जैन ‘पाखी’