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21 Sep 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
21/09/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

अवनत।
अब तक पड़ा,
अंतः संवाद में रत।।
जली है अग्नि पश्चाताप की।
न्यायकर्ता अपराध क्षमा करें,
लज्जित होकर दुहाई देता पाप की।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

अवगत।
होते एकमत।।
एक अवसर क्षमा।
अब न देना कभी चकमा।।
करना होगा दिल से पश्चाताप।
क्षरण हो सके किया गया वह पाप।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

उपरत।
उदासीन रहूँ।
सांसारिकता से सदा,
स्वयं को निर्बंध कह सकूँ।।
जल कीच से उपराम की स्थिति,
विस्मृत हो जाये गुण दोष अविगत।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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