*साम्ब षट्पदी—*
साम्ब षट्पदी—
18/09/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
सिंहासन।
बलपूर्वक ही,
करता है निर्वासन।।
संहिताओं में सदा आबद्ध।
किसी का सगा नहीं होता कभी भी,
सुख-ऐश्वर्य की लालसा करती नद्ध।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
सुखासन।
जैसे इंद्रासन।।
विश्रांति की मुद्रा महा।
महर्षि पतंजलि ने कहा।।
रीढ़ को सीधा रखकर करते।
पैर विपरीत पिंडली पर रहते।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
कुशासन।
देश में व्याप्त है।
कुव्यवस्थाएँ हैं फैली,
जरूरतमंद ही आप्त है।
कोई भी सिंहस्थ हो जाये यहाँ पे,
झुलस रहा है देश आज हुताशन।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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