*साम्ब षट्पदी—*
साम्ब षट्पदी—
26/10/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
वाचस्पति।
अनुसंधान में,
दिखलाता महारति।।
नये आयाम सदा गढ़ता।
संग्रहण एवं संवर्धन कर,
निश्चित लक्ष्य की ओर हमेशा बढ़ता।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
जनश्रुति।
करती संस्तुति।।
पुरखों की दिव्य वाणी।
करता है याद हर प्राणी।।
आज भी प्रासांगिक दिखाई देते।
अज्ञानता जीवन पथ के हर लेते।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
यशोमति।
रस मातृत्व की।
प्रेम की है पराकाष्ठा,
प्रचारिका जग भातृत्व की।।
सेवा त्याग समर्पण प्रतिमूर्ति,
जिनका वात्सल्य अबाधित कालगति।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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