*साम्ब षट्पदी—*
साम्ब षट्पदी—
22/10/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
कर्ज़दार।
सदा परेशान,
घर का है कर्णधार।।
आमदनी कम खर्चे ज्यादा।
निम्नवर्गीय होना भी अभिशाप,
यमराज सा है लेनदार का तगादा।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
अलंकार।
लगे इश्तहार।।
अंग खूबसूरती का।
मन दीप्त नवयुवती का।।
कोई क्या जाने वह क्या खोज रही।
किस धुन में जा रही अकेली ही बही।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
अंधकार।
मन पनघट।
पदचिह्न मिट चुके,
निःशब्द सा है ज्यों मरघट।।
स्वयं को खोजने की कवायद में,
भटकता हूँ भावहीन इस संसार।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
[][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][][]