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30 Sep 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
30/09/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

अधीरता।
बढ़ने लगी है,
कैसे मिले प्रवीणता।।
अभ्यासरत सुनियोजित।
नित्य अनुशासित प्रणबद्ध हूँ,
ईश्वरीय अनुकूलता अनुमोदित।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

अश्लीलता।
भरी तल्लीनता।।
कर चुकी हदें पार।
मानव ही बड़ा जिम्मेदार।।
तथाकथित आधुनिकतावादी।
प्रशंसित होकर बैठ चुके हैं गादी।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

गंभीरता।
बुद्ध की तरह।
शालीनता सौम्य हो,
कुछ भी नहीं हो बेवजह।।
आर्तनाद जो सुन ले दूर से ही,
राम बन, व्यथित हो जो है पसीजता।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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