सामूहिक प्राथना का असर।
आज हमारे देश में स्कूल , कालेजों में माता सरस्वती जी की
वंदना,प्राथना केवल औपचारिकता भर निभाई जाती है।केवल
इलेक्ट्रॉनिक साउंड बजा कर हम वन्दना करते नही सुनते हैं।
हमारी संस्कृति में हम सभी एक साथ मिलकर प्राथना करते थे।
यह। हमारे सनातन धर्म का हिस्सा था। लेकिन आज युग परिवर्तन के कारण हम उस प्राथना की शक्ति से बंचित होते चले गए। हमने प्राथना का सुनने का नियम बना दिया है।
लेकिन यह नियम हमें शक्ति प्रदान नही कर सकता है। सामूहिक प्राथना की शक्ति इस्लाम और ईसाइयत धर्म के लोग समझते थे।
उन्होंने इसलिए बड़े बड़े गिरजाघर बना रखें थे। जिससे वे सामूहिक प्राथना कर सके। और हम सामूहिक प्राथना छोड़ते चले गए।आज हमें सामूहिक प्राथना की आवश्यकता है।इस विपदा की घड़ी में हमें सामूहिक प्रार्थनाओं का आयोजन करना चाहिए।
ईश्वर सामूहिक प्राथना बहुत जल्दी सुन लेते हैं।इसका हमारे स्कूलों में ऐसी प्राथनाएं शुरू होना चाहिए।इससे हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ेगा। आज हम पश्चिमी सभ्यता को अपनाते जा रहें हैं और अपने सनातन धर्म को छोड़ते जा रहें हैं । इसलिए ही हमारे देश पर प्राक्रतिक अपदाये आना शुरू हो गई है।