सामान जल्दी लदवा दो
सामान जल्दी लदवा दो
शिक्षक सुंदर सिंह भवन निर्माण सामग्री लेने बाजार गए| गद्दी पर पसरा पड़ा सेठ, सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों को कोस रहा था|
इतनी तनख्वाह लेते हैं, काम कुछ नहीं करते आदी-आदी| जाने क्या-क्या उपमा दे रहा था| निजीकरण का महिमामंडन कर रहा था|
सुंदर सिंह से रहा नहीं गया तो कहने लगा,”करते तो आप भी कुछ नहीं| काम तो सारा आपका कारिंदा करता है| उसका वेतन कम क्यों?”
सेठ सब बातें अनसुनी करता हुआ कारिंदे से बोला,”मास्टर जी का सामान रेहड़ी में जल्दी लदवा दे|”
-विनोद सिल्ला©