सामान्य उपेक्षिता (महिला दिवस पर )
मौत के इंतजार में बैठी हूं जलील बनाकर।
काश सम्मान हो पाता ,अस्तित्व के नाम पर
रूबरु है सब, यथार्थ के परिचय से।
उपलब्ध हो सकते यथार्थ_ डॉ. सीमा कुमारी बिहार,
भागलपुर, दिनांक-8-1-016 की मौलिक स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूँ।