‘सामने होगा सागर’ …: छंद कुंडलिया.
सागर खोजा ज्ञान का, किन्तु मिली दो बूँद.
उन बूंदों में शिव-शिवा, बैठे आँखें मूँद.
बैठे आँखें मूँद, साधकर साधक मन को.
बाँटें ज्ञान सहेज, भूलकर भौतिक तन को.
सबकी दो-दो बूँद, मिलाकर भर दें गागर
गागर-गागर जोड़, सामने होगा सागर..
इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’