सामने आ रहे
मुक्तक
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सामने आ रहे क्यों नहीं ये कहो, बात क्या है हमें तो बता दीजिए।
झूठ के पांव होते नहीं हैं कभी, सत्य को आज ही जान भी लीजिए।
मानते हैं सभी बात सच्ची खरी, भार क्यों ढो रहे व्यर्थ में झूठ का।
बोलिए तोड़ दो मौन को शीघ्र ही, दर्द के घूंट खामोश क्यों पीजिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य