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21 Nov 2023 · 1 min read

“साम”,”दाम”,”दंड” व् “भेद” की व्यथा

साम”,”दाम”,”दंड” व् “भेद” की व्यथा

जब से सरकार ने घोषित किये हैं पांच प्रदेशों के चुनाव,
“साम”;”दाम”, “दंड” व् भेद” पर बढ़ गया है दबाव।

ये चारो पीड़ित मित्र परिवेदन लेकर पहुंचे ऊपर-वाले के दरबार,
बोले,” हे प्रभु! आजकल हम पर हो रहा है अत्यंत भारी अत्याचार।

दिखता है कि दलों ने ” नीति ” को अपने से कर दिया है दूर,
पर हम चारो से दिन-रात अनवरत काम करवा रहे हैं भरपूर।

राजनीतिक दलों में दिख रहा है एक अज़ीब सा उन्माद,
कुरेद कर एक-दूसरे के घाव,दिखा रहे हैं बुराई का मवाद।

हे सर्वज्ञाता! आप को तो पहले से ही होगा हमारी पीड़ा का ज्ञान,
कैसे हम पर बोझ बढ़ाता जा रहा है आपकी अनुपम कृति इंसान!

सभी श्रमिकों के लिये है अवकाश व् विश्राम के नियमों का प्रावधान,
हे कृपानिधान! इनके उलंघन का हमारे सन्दर्भ में अवश्य लें संज्ञान।

सत्ता की दौड़ में हमारे योगदान का इन दिनों हो रहा है सब ओर बड़ा नाम,
पर उपेक्षा का अहसास कराती है “नीति” जिसके पास नहीं है पर्याप्त काम।

हे सृष्टि- नियंता! आप कि ऐसी हो अनुकम्पा कि नेता समझ जायें,
वे हमें दें अब कुछ आराम और ” नीति ” से भी पूरा काम करायें ”

डॉ हरविंदर सिंह बक्शी
9-11-2023

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