Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2022 · 3 min read

साधो साध विचार:: जीवंत कबीर दर्शन

पुस्तक समीक्षा
साधो साध विचार :: जीवंत कबीर दर्शन
*******************
समीक्षक
सुधीर श्रीवास्तव
********
गोनार्द की उर्वर भूमि में महर्षि पतंजलि, गोस्वामी तुलसीदास जी सहित अन्याय ख्यातिप्राप्त कवियों, साहित्यकारों, विभूतियों और गोण्डा की पहचान बन चुके स्व. रामनाथ सिंह “अदम गोण्डवी” जैसी विभूतियों से आच्छादित हो चुकी धरा पर कबीर की विचारधारा को रेखांकित करते हुए फक्कड़ और स्वच्छंद प्रकृति के रचनाकार हैं हनुमान प्रसाद वर्मा “नीरज गोण्डवी” जी।
“साधो साध विचार” पढ़ने के बाद लगता है कि जैसे संत कबीर की आत्मा “नीरज” के शरीर में घुस पैठ कर गयी हो।
पूज्य गुरु चरणों में समर्पित “साधो साध विचार” दोहावली में संत कबीर के विचारों को प्रस्तुत किया गया है।
बेलौस, बेलाग अंदाज नीरज का लेखन एकदम फक्कड़ी है। शायद आज के परिवेश की परवाह किए बिना ही “नीरज” अपनी रौ में ही बहते चले गए। जिसका नतीजा ये रहा उन्हें कबीर परंपरा का संवाहक कहना अतिशयोक्ति न होगा।
मानवता वाद पर जोर देने की सफल कोशिश का आभास पाठक स्वयं करेगा।
बसुधैव कुटुम्बकम की आशा करते हुए रचनाकार पुस्तक के नाम का शाब्दिक अर्थ बताते हुए लिखा है कि “हे साधुगण, साधकों यि सज्जनों पुरुषों-इस पुस्तक में लिखित बातों पर विचार करके तौलो, साधो और खरा हो तो अपने जीवन में उतारो या आत्मसात करो।

उनकी सहजता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि उन्होंने स्वयं को अल्प बुद्धि और स्वयं कुछ न दे सकने वाला मानकर व्यक्ति और समाज को कुछ देने का प्रयास किया है। जिसे सफल और सार्थक कहना ही पड़ता है।
वैसे तो हर शब्द, पंक्तियां, लाइन बहुमूल्य हैं, फिर भी कुछ पंक्तियां रखना मेरे दृष्टिकोण से उचित है-

नित उठ सतगुरू आप को, सौंपूँँ हाथ पसार।
माया मधु से लो बचा, आपन दास विचार।।

अहम त्याग हरि का भजै, तज नख-शिखहिं बिकार।
सब जीवहिं निर बैर हो, साधु मते अनुसार।।

पंडित मन: विचार कर, छूत उपजि केहि भाँति।
प्राणवायु, रज, वीर्य सों, यह जग सब उत्पात।।

प्रथम गुरु माता-पिता, शब्द करायो ज्ञान।
द्वितीय गुरु जग ज्ञान दी, तीजै साहिब ध्यान।।

भेद न राम रहीम मा, ज्योति एक सब माहि।
तुरक, इसाई, हिन्दु में, जाति भेद कछु नाहिं।।

देह किराए का मकां, जीव पाय भूं आय।
सुमिरन प्रभु भूला अगर, कैसे कर्ज चुकाय।।

नेक राह चलना कठिन, कुहरा बिघ्न बढ़ाय।
पर आगे बढ़ते रहो, आशा ज्योति जलाय।।

जितना तुमसे हो सके, कर्म बुरा तू टाल।
पर तुम अच्छे कर्म को,कर डालो तत्काल।।

जो सब में है रम रहा, सोई सो$हम राम।
अल्लह ,सत्य कबीर या, “ओ$म कहो सत्नाम।।

41पृष्ठों मेंं 328 दोहों से सुभाषित पुस्तक की भूमिका डा. छोटे लाल दीक्षित जी ने, साधो साध विचार और नीरज वरि. कवि शिवाकांत मिश्र “विद्रोही” जी बहुत सारगर्भित ढंग से पुस्तक ही नहीं रचनाकार के बारे में बहुत ही गहरे चिंतन के बाद ही लिखा होगा।
तत्पश्चात दोहावली प्रारंभ से पूर्व “रचनाकार की कलम से” में “नीरज” ने अपना मतंव्य बड़ी ही साफगोई से लिखा है।
अमन प्रकाशन गोण्डा (उ.प्र) से प्रकाशित पुस्तक का मूल्य मात्र 50 रु. है, जो पुस्तक की उपादेयता के सापेक्ष शून्य सा है।
संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि पुस्तक पठनीय होने के साथ, भावों की ग्राहयता को दिशा देने वाली है।
मैं पुस्तक की सफलता और “नीरज” के स्वस्थ, सानंद और दीर्घायु जीवन की कामना, प्रार्थना करता हूँ।

-:समीक्षक :-
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा,उ.प्र.
8115285921

2 Likes · 158 Views

You may also like these posts

किस तरिया रोने तै डट ज्या बैठा बाजी हार के
किस तरिया रोने तै डट ज्या बैठा बाजी हार के
Baldev Chauhan
तुमको ही चुनना होगा
तुमको ही चुनना होगा
rubichetanshukla 781
बहुत सुना है न कि दर्द बाँटने से कम होता है। लेकिन, ये भी तो
बहुत सुना है न कि दर्द बाँटने से कम होता है। लेकिन, ये भी तो
पूर्वार्थ
पिता
पिता
Nitesh Shah
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
लक्ष्मी सिंह
वे आजमाना चाहते हैं
वे आजमाना चाहते हैं
Ghanshyam Poddar
जीवन पथ पर चलते जाना
जीवन पथ पर चलते जाना
नूरफातिमा खातून नूरी
తెలుగు భాషా దినోత్సవ శుభాకాంక్షలు.
తెలుగు భాషా దినోత్సవ శుభాకాంక్షలు.
*प्रणय*
जुदाई का प्रयोजन बस बिछड़ना ही नहीं होता,
जुदाई का प्रयोजन बस बिछड़ना ही नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर
हर "प्राण" है निलय छोड़ता
Atul "Krishn"
कोशी मे लहर
कोशी मे लहर
श्रीहर्ष आचार्य
गीत- कोई रोया हँसा कोई...
गीत- कोई रोया हँसा कोई...
आर.एस. 'प्रीतम'
संवेदना बदल गई
संवेदना बदल गई
Rajesh Kumar Kaurav
21वीं सदी की लड़की।
21वीं सदी की लड़की।
Priya princess panwar
हो रहा है चर्चा हमारा चारों तरफ़,
हो रहा है चर्चा हमारा चारों तरफ़,
Jyoti Roshni
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
Keshav kishor Kumar
धुआँ सी ज़िंदगी
धुआँ सी ज़िंदगी
Dr. Rajeev Jain
??????...
??????...
शेखर सिंह
हर एक हृदय से
हर एक हृदय से
Shweta Soni
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
Jogendar singh
4217💐 *पूर्णिका* 💐
4217💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हुईं क्रांति
हुईं क्रांति
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
Rajesh vyas
क्या है
क्या है
Dr fauzia Naseem shad
*चाय और चाह*
*चाय और चाह*
Shashank Mishra
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
shabina. Naaz
कहानी
कहानी
Rajender Kumar Miraaj
Loading...