साधा तीखी नजरों का निशाना
साधा तीखी नजरों का निशाना
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साधा तीखी नजरों का निशाना,
बच ना पाया कोई भी दिवाना।
बदहाली में बदली हाल सूरत,
रोगी जैसे हो कोई पुराना।
खोई जीवन में है शान-शौकत,
दर-बेदर होकर खोया ठिकाना।
माना मुश्किल का है दौर आये,
खुद को शिद्द्त से होगा बचाना।
मुद्द्त से देखा है हमनशी को,
यादों का मौसम आया सुहाना।
विछड़े लैला-मजनू,हीर – रांझे,
सदियों से दुश्मन रहता जमाना।
तन – मन से तेरा ही प्यार पाऊँ,
चाहे कोई बन जाए बहाना।
भूली-बिसरी यादें गीत – गजलें,
गम के नजराने हम को सुनाना।
मनसीरत प्रेमी प्यासा पपीहा,
दुश्मन बनता आया है जमाना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)