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8 Aug 2024 · 1 min read

साधा तीखी नजरों का निशाना

साधा तीखी नजरों का निशाना
************************

साधा तीखी नजरों का निशाना,
बच ना पाया कोई भी दिवाना।

बदहाली में बदली हाल सूरत,
रोगी जैसे हो कोई पुराना।

खोई जीवन में है शान-शौकत,
दर-बेदर होकर खोया ठिकाना।

माना मुश्किल का है दौर आये,
खुद को शिद्द्त से होगा बचाना।

मुद्द्त से देखा है हमनशी को,
यादों का मौसम आया सुहाना।

विछड़े लैला-मजनू,हीर – रांझे,
सदियों से दुश्मन रहता जमाना।

तन – मन से तेरा ही प्यार पाऊँ,
चाहे कोई बन जाए बहाना।

भूली-बिसरी यादें गीत – गजलें,
गम के नजराने हम को सुनाना।

मनसीरत प्रेमी प्यासा पपीहा,
दुश्मन बनता आया है जमाना।
************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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