सादगी
सादगी से हमारा तात्पर्य है विचारों की स्वतंत्रता एवं सादगी से उनकी प्रस्तुति जिससे किसी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को ठेस न पहुंचे ।और हम अपनी बात एवं तर्क उस तक पहुंचा सके। जिससे कि वह भी किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त ना होकर अपने स्वतंत्र विचार एवं तर्क प्रस्तुत कर सके।
विचारों के आदान-प्रदान में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि दोनों पक्ष एक दूसरे के विचारों को पहचानें उनका विश्लेषण करें तथा उन्हें अपनी अपनी तर्क की कसौटी में परखें तथा किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच सकें।
अधिकांश यह देखा गया है अपने विचारों की प्रस्तुति में लोग अपने अहम को अधिक महत्व देते हैं और दूसरे को गौण समझ लेते हैं । एक ही धरातल पर रहकर स्वस्थ एवं स्वतंत्र विचारों का आदान-प्रदान संभव हो सकता है ।असहमति होने पर उसकी प्रस्तुति मे यह ध्यान रखा जाए की जिन बिंदुओं पर असहमति हो उन्हें एक मर्यादा के दायरे में रहकर ही अपनी असहमति प्रकट करें ।और अपनी असहमति का कारण एवं तर्क प्रस्तुत करें। अपना तर्क प्रस्तुत करते समय यह ध्यान रहे की सत्य एवं व्यवहारिकता का समावेश आपके तर्क में रहे। जिससे आपके तर्क को बहुमत से स्वीकृति मिल सके ।किसी असत्य वचन एवं काल्पनिक विचारों का समावेश आपकी प्रस्तुति में ना हो ।जिससे आपके विचार तर्क हीन एवं व्यवहारिकता से परे सिद्ध हो ।
किसी तर्क को सिद्ध करने के लिए असत्य एवं आरोप प्रत्यारोप का सहारा लेना एक स्वस्थ संगोष्ठी का परिचायक नहीं है ।
अतः जहां तक संभव हो इस स्थिति से बचें और सौहार्दपूर्ण वातावरण संगोष्ठी के अंत तक बनाए रखें।
आपके व्यवहार की सादगी एवं सोच आपको अपना मान सम्मान बनाए रखने और उसकी अभिवृद्धि में सहायक रहेगी।