साथ..
तुम्हारे साथ ने
कभी मुझे असमर्थता, अकेलेपन का
आभास नहीं होने दिया….
तुम्हारा
दूर रह कर भी हर घड़ी
मेरे पास होने का एहसास
मुझे अनन्त सम्भावनाओं की
प्रेरणा देता रहा.
सम्भावनाएं ही तो जीवन को
सार्थकता देती हैं
तुम्हें पाने की शून्य आशा ने भी
हर लम्हा
उद्देश्य दिया मुझे जीने का
हँसने का, मुस्कुराने का,
और मैं
पल पल तुम्हारी यादों के साये में
जीता रहा
उन खुशियों को जिन्हें
रब की मेहर समझ कर
स्वीकारा था मैंने!!!!
हिमांशु Kulshrestha